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About Me

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Dear sir, Welcome You tube channel ( worldwide YouTube Channel) My name is Sandeep Kumar I am Graduate , Jaipur university, Rajasthan, India. I am leaving in Ahmedabad. I am Business man, my business name is GMR Enterprises. Thanks n Regards, Sandeep Kumar.

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Sunday, 9 September 2018

अच्छा सोचें

जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी । वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी , कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी । उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये ।

वहां पहुँचते  ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी ।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी ।

उसने दाये देखा , तो एक शिकारी तीर का निशाना , उस की तरफ साध रहा था । घबराकर वह दाहिने मुड़ी , तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था । सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुड़ी , तो नदी में जल बहुत था।

मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?

क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?

हिरनी अपने आप को शून्य में छोड़ , अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी । कुदरत का कारिष्मा देखिये । बिजली चमकी और तीर छोडते हुए , शिकारी की आँखे चौंधिया गयी । उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते , शेर की आँख में जा लगा , शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा । और शिकारी , शेर को घायल ज़ानकर भाग गया । घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी । हिरनी ने शावक को जन्म दिया ।

*हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है , जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते । तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । अन्तत: यश , अपयश , हार , जीत , जीवन , मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है । हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए ।*

कुछ लोग हमारी *सराहना* करेंगे ,
कुछ लोग हमारी *आलोचना* करेंगे ।

दोनों ही मामलों में हम *फायदे* में हैं ,

एक हमें *प्रेरित* करेगा और
दूसरा हमारे भीतर *सुधार* लाएगा ।।

       *_अच्छा सोचें_*👌
        *_सच्चा सोचें_*👍

बात बहुत पुरानी है।

  आप को पसंद आया तो आप सब के बीच रख रहा हुं

थोड़ा समय लगेगा लेकिन पढ़ना जरूर, आंसू आ जाए तो जान लेना आपकी भावनाएं जीवित हैं ....
बात बहुत पुरानी है।
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आठ-दस साल पहले की है  ।
 मैं अपने एक मित्र का पासपोर्ट बनवाने के लिए दिल्ली के पासपोर्ट ऑफिस गया था।

उन दिनों इंटरनेट पर फार्म भरने की सुविधा नहीं थी। पासपोर्ट दफ्तर में दलालों का बोलबाला था
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और खुलेआम दलाल पैसे लेकर पासपोर्ट के फार्म बेचने से लेकर उसे भरवाने, जमा करवाने और पासपोर्ट बनवाने का काम करते थे।

मेरे मित्र को किसी कारण से पासपोर्ट की जल्दी थी, लेकिन दलालों के दलदल में फंसना नहीं चाहते थे।

हम पासपोर्ट दफ्तर पहुंच गए, लाइन में लग कर हमने पासपोर्ट का तत्काल फार्म भी ले लिया।
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पूरा फार्म भर लिया। इस चक्कर में कई घंटे निकल चुके थे, और अब हमें िकसी तरह पासपोर्ट की फीस जमा करानी थी।

हम लाइन में खड़े हुए लेकिन जैसे ही हमारा नंबर आया बाबू ने खिड़की बंद कर दी और कहा कि समय खत्म हो चुका है अब कल आइएगा।

मैंने उससे मिन्नतें की, उससे कहा कि आज पूरा दिन हमने खर्च किया है और बस अब केवल फीस जमा कराने की बात रह गई है, कृपया फीस ले लीजिए।

बाबू बिगड़ गया। कहने लगा, "आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके लिए वो जिम्मेदार है क्या? अरे सरकार ज्यादा लोगों को बहाल करे। मैं तो सुबह से अपना काम ही कर रहा हूं।"

मैने बहुत अनुरोध किया पर वो नहीं माना। उसने कहा कि बस दो बजे तक का समय होता है, दो बज गए। अब कुछ नहीं हो सकता।

मैं समझ रहा था कि सुबह से दलालों का काम वो कर रहा था, लेकिन जैसे ही बिना दलाल वाला काम आया उसने बहाने शुरू कर दिए हैं।
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पर हम भी अड़े हुए थे कि बिना अपने पद का इस्तेमाल किए और बिना उपर से पैसे खिलाए इस काम को अंजाम देना है।

मैं ये भी समझ गया था कि अब कल अगर आए तो कल का भी पूरा दिन निकल ही जाएगा, क्योंकि दलाल हर खिड़की को घेर कर खड़े रहते हैं, और आम आदमी वहां तक पहुंचने में बिलबिला उठता है।

खैर, मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो अब कल आएंगे।

मैंने उसे रोका। कहा कि रुको एक और कोशिश करता हूं।

बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं, चुपचाप उसके-पीछे हो लिया। वो उसी दफ्तर में तीसरी या चौथी मंजिल पर बनी एक कैंटीन में गया, वहां उसने अपने थैले से लंच बॉक्स निकाला और धीरे-धीरे अकेला खाने लगा।

मैं उसके सामने की बेंच पर जाकर बैठ गया। उसने मेरी ओर देखा और बुरा सा मुंह बनाया। मैं उसकी ओर देख कर मुस्कुराया। उससे मैंने पूछा कि रोज घर से खाना लाते हो?

उसने अनमने से कहा कि हां, रोज घर से लाता हूं।

मैंने कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है, रोज बहुत से नए-नए लोगों से मिलते होगे?

वो पता नहीं क्या समझा और कहने लगा कि हां मैं तो एक से एक बड़े अधिकारियों से मिलता हूं।

कई आईएएस, आईपीएस, विधायक और न जाने कौन-कौन रोज यहां आते हैं। मेरी कुर्सी के सामने बड़े-बड़े लोग इंतजार करते हैं।

मैंने बहुत गौर से देखा, ऐसा कहते हुए उसके चेहरे पर अहं का भाव था।

मैं चुपचाप उसे सुनता रहा।

फिर मैंने उससे पूछा कि एक रोटी तुम्हारी प्लेट से मैं भी खा लूं? वो समझ नहीं पाया कि मैं क्या कह रहा हूं। उसने बस हां में सिर हिला दिया।

मैंने एक रोटी उसकी प्लेट से उठा ली, और सब्जी के साथ खाने लगा।

वो चुपचाप मुझे देखता रहा। मैंने उसके खाने की तारीफ की, और कहा कि तुम्हारी पत्नी बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है।

वो चुप रहा।

मैंने फिर उसे कुरेदा। तुम बहुत महत्वपूर्ण सीट पर बैठे हो। बड़े-बड़े लोग तुम्हारे पास आते हैं। तो क्या तुम अपनी कुर्सी की इज्जत करते हो?

अब वो चौंका। उसने मेरी ओर देख कर पूछा कि इज्जत? मतलब?

मैंने कहा कि तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, तुम न जाने कितने बड़े-बड़े अफसरों से डील करते हो, लेकिन तुम अपने पद की इज्जत नहीं करते।

उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कैसे कहा आपने? मैंने कहा कि जो काम दिया गया है उसकी इज्जत करते तो तुम इस तरह रुखे व्यवहार वाले नहीं होते।

देखो तुम्हारा कोई दोस्त भी नहीं है। तुम दफ्तर की कैंटीन में अकेले खाना खाते हो, अपनी कुर्सी पर भी मायूस होकर बैठे रहते हो,
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लोगों का होता हुआ काम पूरा करने की जगह अटकाने की कोशिश करते हो।

मान लो कोई एकदम दो बजे ही तुम्हारे काउंटर पर पहुंचा तो तुमने इस बात का लिहाज तक नहीं किया कि वो सुबह से लाइऩ में खड़ा रहा होगा,

और तुमने फटाक से खिड़की बंद कर दी। जब मैंने तुमसे अनुरोध किया तो तुमने कहा कि सरकार से कहो कि ज्यादा लोगों को बहाल करे।

मान लो मैं सरकार से कह कर और लोग बहाल करा लूं, तो तुम्हारी अहमियत घट नहीं जाएगी?
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हो सकता है तुमसे ये काम ही ले लिया जाए। फिर तुम कैसे आईएएस, आईपीए और विधायकों से मिलोगे?

भगवान ने तुम्हें मौका दिया है रिश्ते बनाने के लिए। लेकिन अपना दुर्भाग्य देखो, तुम इसका लाभ उठाने की जगह रिश्ते बिगाड़ रहे हो।

मेरा क्या है, कल भी आ जाउंगा, परसों भी आ जाउंगा। ऐसा तो है नहीं कि आज नहीं काम हुआ तो कभी नहीं होगा। तुम नहीं करोगे कोई और बाबू कल करेगा।

पर तुम्हारे पास तो मौका था किसी को अपना अहसानमंद बनाने का। तुम उससे चूक गए।

वो खाना छोड़ कर मेरी बातें सुनने लगा था।

मैंने कहा कि पैसे तो बहुत कमा लोगे, लेकिन रिश्ते नहीं कमाए तो सब बेकार है।
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क्या करोगे पैसों का? अपना व्यवहार ठीक नहीं रखोगे तो तुम्हारे घर वाले भी तुमसे दुखी रहेंगे। यार दोस्त तो नहीं हैं,

ये तो मैं देख ही चुका हूं। मुझे देखो, अपने दफ्तर में कभी अकेला खाना नहीं खाता।

यहां भी भूख लगी तो तुम्हारे साथ खाना खाने आ गया। अरे अकेला खाना भी कोई ज़िंदगी है?

मेरी बात सुन कर वो रुंआसा हो गया। उसने कहा कि आपने बात सही कही है साहब। मैं अकेला हूं। पत्नी झगड़ा कर मायके चली गई है।
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 बच्चे भी मुझे पसंद नहीं करते। मां है, वो भी कुछ ज्यादा बात नहीं करती। सुबह चार-पांच रोटी बना कर दे देती है, और मैं तनहा खाना खाता हूं।
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 रात में घर जाने का भी मन नहीं करता। समझ में नहींं आता कि गड़बड़ी कहां है?

मैंने हौले से कहा कि खुद को लोगों से जोड़ो। किसी की मदद कर सकते तो तो करो।
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देखो मैं यहां अपने दोस्त के पासपोर्ट के लिए आया हूं। मेरे पास तो पासपोर्ट है।

मैंने दोस्त की खातिर तुम्हारी मिन्नतें कीं। निस्वार्थ भाव से। इसलिए मेरे पास दोस्त हैं, तुम्हारे पास नहीं हैं।

वो उठा और उसने मुझसे कहा कि आप मेरी खिड़की पर पहुंचो। मैं आज ही फार्म जमा करुंगा।

मैं नीचे गया, उसने फार्म जमा कर लिया, फीस ले ली। और हफ्ते भर में पासपोर्ट बन गया।

बाबू ने मुझसे मेरा नंबर मांगा, मैंने अपना मोबाइल नंबर उसे दे दिया और चला आया।

कल दिवाली पर मेरे पास बहुत से फोन आए। मैंने करीब-करीब सारे नंबर उठाए। सबको हैप्पी दिवाली बोला।

उसी में एक नंबर से फोन आया, "रविंद्र कुमार चौधरी बोल रहा हूं साहब।"

मैं एकदम नहीं पहचान सका। उसने कहा कि कई साल पहले आप हमारे पास अपने किसी दोस्त के पासपोर्ट के लिए आए थे, और आपने मेरे साथ रोटी भी खाई थी।

आपने कहा था कि पैसे की जगह रिश्ते बनाओ।

मुझे एकदम याद आ गया। मैंने कहा हां जी चौधरी साहब कैसे हैं?

उसने खुश होकर कहा, "साहब आप उस दिन चले गए, फिर मैं बहुत सोचता रहा।
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 मुझे लगा कि पैसे तो सचमुच बहुत लोग दे जाते हैं, लेकिन साथ खाना खाने वाला कोई नहीं मिलता।
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सब अपने में व्यस्त हैं। मैं

साहब अगले ही दिन पत्नी के मायके गया, बहुत मिन्नतें कर उसे घर लाया। वो मान ही नहीं रही थी।

वो खाना खाने बैठी तो मैंने उसकी प्लेट से एक रोटी उठा ली,

कहा कि साथ खिलाओगी? वो हैरान थी।

रोने लगी। मेरे साथ चली आई। बच्चे भी साथ चले आए।

साहब अब मैं पैसे नहीं कमाता। रिश्ते कमाता हूं। जो आता है उसका काम कर देता हूं।

साहब आज आपको हैप्पी दिवाली बोलने के लिए फोन किया है।

अगल महीने बिटिया की शादी है। आपको आना है।

अपना पता भेज दीजिएगा। मैं और मेरी पत्नी आपके पास आएंगे।

मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा था कि ये पासपोर्ट दफ्तर में रिश्ते कमाना कहां से सीखे?

तो मैंने पूरी कहानी बताई थी। आप किसी से नहीं मिले लेकिन मेरे घर में आपने रिश्ता जोड़ लिया है।

सब आपको जानते है बहुत दिनों से फोन करने की सोचता था, लेकिन हिम्मत नहीं होती थी।

आज दिवाली का मौका निकाल कर कर रहा हूं। शादी में आपको आना है।
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बिटिया को आशीर्वाद देने। रिश्ता जोड़ा है आपने। मुझे यकीन है आप आएंगे।

वो बोलता जा रहा था, मैं सुनता जा रहा था। सोचा नहीं था कि सचमुच उसकी ज़िंदगी में भी पैसों पर रिश्ता भारी पड़ेगा।

लेकिन मेरा कहा सच साबित हुआ। आदमी भावनाओं से संचालित होता है। कारणों से नहीं। कारण से तो मशीनें चला करती हैं

पसंद आए तो अपनें अज़ीज़ दोस्तों को जरुर भेजें एंव इनसांनीयत की भावना को आगे बढ़ाएँ

पैसा इन्सान के लिए बनाया गया है, इन्सान पैैसै के लिए नहीं बनाया गया है!!

""" जिंदगी में किसी का साथ ही काफी है,, कंधे पर रखा हुआ हाथ ही काफी है,,,,
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दूर हो या पास क्या फर्क पड़ता है,, क्योंकि अनमोल रिश्तों का तो बस एहसास ही काफी है *** । ।

अगर आपके दिल को छुआ हो तो इस मैसेज से कुछ सीखने की कोशिश करना ,,
      शायद आपकी दुनिया भी बदल जाये ।।।

*अगर मरने के बाद भी जीना चाहो तो एक काम जरूर करना, पढ़ने लायक कुछ लिख जाना या लिखने लायक कुछ कर जाना I
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याद रखना, पैसा तो सबके पास हैं, किसी के पास कम है, तो किसी के पास ज्यादा है,ये सोचो कि रिश्ते किसके ज्यादा है।।
🙏🙏🌹🌹💐💐

Friday, 7 September 2018

BUDDH PURNIMA


माना जाता है,वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है। शुभ मुहूर्त में पूजन करने से बिगड़े काम बन जाते हैं।  इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है | कहते है इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी| जहां विश्वभर में बौध धर्म के करोड़ों अनुयायी और प्रचारक है वहीँ उत्तर भारत के हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा बुद्ध को विष्णुजी का नौवा अवतार माना कहा गया है

बुद्ध पूर्णिमा:-
पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति का दिन और विशेष संयोग भी
वैशाख मास की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है | बुद्ध पूर्णिमा 30 अप्रैल 2018, सोमवार को मनाई जाएगी,  तीन साल बाद वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन सिद्धि योग भी बन रहा है,हिंदू पंचांग में इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है, वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है। शुभ मुहूर्त में पूजन करने से बिगड़े काम बन जाते हैं  इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है | कहते है इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी| जहां विश्वभर में बौध धर्म के करोड़ों अनुयायी और प्रचारक है वहीँ उत्तर भारत के हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा बुद्ध को विष्णुजी का नौवा अवतार माना कहा गया है,  वैदिक ग्रंथों के अनुसार भगवान बुद्ध नारायण के अवतार हैं, उन्होंने 2500 साल पहले धरती पर लोगों को अहिंसा और दया का ज्ञान दिया था। बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा भी कहते हैं क्योंकि यह वैशाख महीने की पूर्णमासी को आता है। पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण समारोह भी मनाया जाता है।

सत्य विनायक पूर्णिमा भगवान बुद्ध दुनिया के सबसे महान महापुरुषों में से एक हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अतः हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। यही नहीं इसी दिन भगवान बुद्ध ने मोक्ष प्राप्त किया था, इस दिन को लोग सत्य विनायक पूर्णिमा के तौर पर भी मनाते हैं। धर्मराज गुरु की पूजा बताया जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने से गरीबी दूर होती है और घर में सुख समृद्धि आती है, इस दिन कई धर्मराज गुरु की पूजा भी करते हैं। बौद्ध दर्शन तीन मूल सिद्धांत अनीश्वरवाद: बुद्ध के अनुसार दुनिया प्रतीत्यसमुत्पाद के नियम पर चलती है। प्रतीत्यसमुत्पाद अर्थात कारण-कार्य की श्रृंखला। इस ब्रह्मांड को कोई चलाने वाला नहीं है। अनात्मवाद: इसका मतलब नहीं कि सच में ही 'आत्मा' नहीं है। जिसे लोग आत्मा समझते हैं, वो चेतना का अविच्छिन्न प्रवाह है। क्षणिकवाद: इस ब्रह्मांड में सब कुछ क्षणिक और नश्वर है। कुछ भी स्थायी नहीं। सब कुछ परिवर्तनशील है।

बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। ५६३ ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, भारत (आज का नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही ४८३ ई. पू. में ८० वर्ष की आयु में, कुशीनगर में उन्होने निर्वाण प्राप्त किया था। वर्तमान समय में कुशीनगर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद का एक कस्बा है। ध्यान रहे कि यह गौतम बुद्ध का 2580 वां जन्मदिन है. इस दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था. दुनियाभर के बौद्ध गौतम बुद्ध की जयंती को धूमधाम से मनाते हैं.

शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा करने से चारो तरफ से सुख–समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। सिद्धि योग और सोमवार के चलते यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। पूर्णिमा पर ज्योतिष में कुछ बताए गए हैं जिसको करने से जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का अंत हो जाता है। चंद्रमा को सफेद रंग और शीतलता का प्रतीक माना गया है इसलिए इस योग में दूध और शहद के उपाय से धन, मान–सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है।

परिचय:-
भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधि) और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। ऐसा किसी अन्य महापुरुष के साथ आज तक नहीं हुआ है। अपने मानवतावादी एवं विज्ञानवादी बौद्ध धम्म दर्शन से भगवान बुद्ध दुनिया के सबसे महान महापुरुष है। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में १८० करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अतः हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। यह त्यौहार भारत, चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान तथा विश्व के कई देशों में मनाया जाता है।

बुद्ध के ही बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। यहाँ उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध की महापरिनिर्वाणस्थली कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण विहार पर एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ गौतम बुद्ध से संबंधित है, लेकिन आस-पास के क्षेत्र में हिंदू धर्म के लोगों की संख्या ज्यादा है और यहां के विहारों में पूजा-अर्चना करने वे बड़ी श्रद्धा के साथ आते हैं। इस विहार का महत्व बुद्ध के महापरिनिर्वाण से है। इस मंदिर का स्थापत्य अजंता की गुफाओं से प्रेरित है। इस विहार में भगवान बुद्ध की लेटी हुई (भू-स्पर्श मुद्रा) ६.१ मीटर लंबी मूर्ति है। जो लाल बलुई मिट्टी की बनी है। यह विहार उसी स्थान पर बनाया गया है, जहां से यह मूर्ति निकाली गयी थी। विहार के पूर्व हिस्से में एक स्तूप है। यहां पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था। यह मूर्ति भी अजंता में बनी भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण मूर्ति की प्रतिकृति है।

श्रीलंका व अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में इस दिन को 'वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है। इस दिन बौद्ध अनुयायी घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाते हैं। विश्व भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएँ करते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है। विहारों व घरों में बुद्ध की मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाते हैं और दीपक जलाकर पूजा करते हैं। बोधिवृक्ष की भी पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं को हार व रंगीन पताकाओं से सजाते हैं। वृक्ष के आसपास दीपक जलाकर इसकी जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है।। इस पूर्णिमा के दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। पिंजरों से पक्षियॊं को मुक्त करते हैं व गरीबों को भोजन व वस्त्र दान किए जाते हैं। दिल्ली स्थित बुद्ध संग्रहालय में इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर प्रदर्शित किया जाता है, जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहाँ आकर प्रार्थना कर सकें।
बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त:-
शांति की खोज में कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ 27 वर्ष की उम्र में घर-परिवार, राजपाट आदि छोड़कर चले गए थे| भ्रमण करते हुए सिद्धार्थ काशी के समीप सारनाथ पहुंचे जहाँ उन्होंने धर्म परिवर्तन किया| यहाँ उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचें कठोर तप किया| कठोर तपस्या के बाद सिद्धार्थ को बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह महान सन्यासी गौतम बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए और अपने ज्ञान से समूचे विश्व को ज्योतिमान किया |

बुद्ध पूर्णिमा तिथि व मुहूर्त 2018
बुद्ध पूर्णिमा तिथि – 30 अप्रलै 2018
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ –  06:37 बजे, 29 अप्रैल 2018
पूर्णिमा तिथि समाप्ति –  06:27 बजे, 30 अप्रैल 2018
इस दिन गौतम बुद्ध की 2580वीं जयंती मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त पूर्णिमा तिथि पर हिन्दू धर्म में कोई भी त्योहार उदया तिथि में मनाई जाती है, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा भी 30 अप्रैल 2018 को मनाई जाएगी। बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल 2018 को सुबह 6:37 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल 2018 को 6:27 बजे खत्म होगा. हिंदू धर्म में हर त्योहार उदया तिथि को ही मनाया जाता है, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा भी 30 अप्रैल, सोमवार को मनायी जाएगी।

बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं:-
बुद्ध पूर्णिमा से कई सारी मान्यताएं जुड़ी हैं, बताया जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपने 9वां अवतार लिया था | ये अवतार भगवान बुद्ध के नाम से लोकप्रिय है, इतना ही नहीं इसी दिन भगवान बुद्ध ने मोक्ष प्राप्त किया था, इस दिन को लोग सत्य विनायक पूर्णिमा के तौर पर भी मनाते हैं | बुद्ध पूर्णिमा के शुभावसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है| सभी बुद्ध की प्रतिमा का जलाभिषेक करते है और फल, फूल, धुप इत्यादि चढाते हैं | बौध श्रद्धालु इस दिन ज़रुरतमंदों की सहायता करते हैं और कुछ श्रद्धालु इस दिन जानवरों-पक्षियों को भी पिंजरों से मुक्त करते है और विश्वभर में स्वतंत्रता का सन्देश फैलाते हैं |
बताया जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने से गरीबी दूर होती है और घर में सुख समृद्धि आती है. इस दिन कई धर्मराज गुरु की पूजा भी करते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से धर्मराज गुरु खुश होते है और लोगों लोगों को अकाल मृत्यु का डर नहीं होता।
बुद्ध पूर्णिमा पूजा विधि:-
इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है।
दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएँ करते हैं।
मंदिरों व घरों में अगरबत्ती लगाई जाती है। मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीपक जलाकर पूजा की जाती है।
बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएँ सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं।
इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है।
पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व:-
बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के पिछले कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह स्नान लाभ की दृष्टि से अंतिम पर्व माना जाता है, बुद्ध पूर्णिमा पर बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं. दीप जलाते है। रंगीन पताकाओं से सजावट की जाती है और बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन भक्त भगवान महावीर पर फूल चढ़ाते हैं, अगरबत्ती और मोमबत्तियां जलाते हैं तथा भगवान बुद्ध के पैर छूकर शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
विदेशों में भी मनायी जाती है बुद्ध पूर्णिमा:-
बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल थाईलैंड, मलयेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। श्रीलंका में इस दिन को ‘वेसाक‘ के नाम से जाना जाता है, जो निश्चित रूप से वैशाख का ही अपभ्रंश है।
महात्मा बुद्ध का ज्ञान:-
महात्मा बुद्ध ने हमेशा मनुष्य को भविष्य की चिंता से निकलकर वर्तमान में खड़े रहने की शिक्षा दी,उन्होंने दुनिया को बताया आप अभी अपनी जिंदगी को जिएं, भविष्य के बारे में सोचकर समय बर्बाद ना करें. बिहार के बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और उनके ज्ञान की रौशनी पूरी दुनिया में फैली,महात्मा बुद्ध का एक मूल सवाल है।जीवन का सत्य क्या है? भविष्य को हम जानते नहीं है। अतीत पर या तो हम गर्व करते हैं या उसे याद करके पछताते हैं।भविष्य की चिंता में डूबे रहते हैं।दोनों दुखदायी हैं।
देवशयनी एकादशी को कैसे पूरी होती है मनोकामना:-
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। इस दिन लोग व्रत–उपवास करते हैं। बौद्ध धर्मावलंबी सफेद कपड़े पहनते हैं और बौद्ध विहारों और मठों में सामूहिक उपासना करते है,दान देते हैं. बौद्ध और हिंदू दोनों ही धर्मों के लोग बुद्ध पूर्णिमा को बहुत श्रद्धा के साथ मनाते हैं, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध के आदर्शों और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

नशा मुक्त हो जीवन अपना

नशा मुक्त हो जीवन अपना
तन मन धन करता कौन खराब ।
गुटखा बीड़ी सिगरेट और शराब ।।

खुशियां छीने ये पल भर में,
ये झगड़ा मातम लाये घर घर में ,
ये जहर के कांटे बोते जीवन में,
पल भर में तोड़े सारे ख्वाब ।
गुटखा बीड़ी सिगरेट और शराब ।।

तम्बाकू के मीठे जहर में,
डूबे कितने इसके लहर में,
हर गांव-शहर में से विषगंगा,
और लायेगी कितने सैलाब ।
गुटखा बीड़ी सिगरेट और शराब ।।

काश! नशा मुक्त हो जीवन अपना,
सच हो सबका, अपना अपना,
‘प्रियतम‘ खुशियों की शहनाई बजे,
हर घर घर महके, खिले गुलाब ।
गुटखा बीड़ी सिगरेट और शराब ।।

Thursday, 6 September 2018

सच्चे प्यार की लव स्टोरी


 A Short Love Story in Hindi

ऋषि को चौदह साल की उम्र में ही पहला प्यार हो गया था| ऋषि उस समय आठवीं क्लास में था, उम्र कम थी लेकिन मॉर्डन ज़माने में लोग इसी उम्र में प्यार कर बैठते हैं|
ऋषि का ये पहला प्यार उसकी क्लास में पढ़ने वाली लड़की “नीलम” के साथ था| नीलम अमीर घराने की लड़की थी, उम्र यही कोई 13 -14 साल ही होगी और दिखने में बला की खूबसूरत थी| नीलम के पापा का प्रापर्टी डीलिंग का काम था, अच्छे पैसे वाले लोग थे|
ऋषि मन ही मन नीलम को दिल दे बैठा था लेकिन हमेशा कहने से डरता था| ऋषि के पिता एक स्कूल में अध्यापक थे| उनका परिवार भी सामान्य ही था इसीलिए डर से ऋषि कभी प्यार का इजहार नहीं करता था|
चलो इस प्यार के बहाने ऋषि की एक गन्दी आदत सुधर गयी| ऋषि आये दिन स्कूल ना जाने के नए नए बहाने बनाता था लेकिन आज कल टाइम से तैयार होके चुपचाप स्कूल चला आता था| माँ बाप सोचते बच्चा सुधर गया है लेकिन बेटे का दिल तो कहीं और अटक चुका था|
समय ऐसे ही बीतता गया…लेकिन ऋषि की कभी प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं हुई बस चोरी छिपे ही नीलम को देखा करता था| हाँ कभी -कभी उन दोनों में बात भी होती थी लेकिन पढाई के टॉपिक पर ही.. ऋषि दिल की बात ना कह पाया|
समय गुजरा,,आठवीं पास की, नौवीं पास की…अब दसवीं पास कर चुके थे लेकिन चाहत अभी भी दिल में ही दबी थी|
बैंक से लोन लेकर पिताजी ने ऋषि को बाहर पढ़ने भेज दिया| नीलम के पिता ने भी किसी दूसरे शहर में बड़ा मकान बना लिया और वहां शिफ्ट हो गए| ऋषि अब हमेशा के लिए नीलम से जुदा हो चुका था|
समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया,, ऋषि ने अपनी पढाई पूरी की और अब एक बड़ी कम्पनी में नौकरी भी करने लगा था, अच्छी तनख्वाह भी थी लेकिन जिंदगी में एक कमी हमेशा खलती थी – वो थी नीलम।। लाख कोशिशों के बाद भी ऋषि फिर कभी नीलम से मिल नहीं पाया थाA Love story
घर वालों ने ऋषि की शादी एक सुन्दर लड़की से कर दी और संयोग से उस लड़की का नाम भी नीलम ही था| ऋषि जब भी अपनी पत्नी को नीलम नाम से पुकारता उसके दिल की धड़कन तेज हो उठती थी| आखों के आगे बचपन की तस्वीरें उभर आया करतीं थी| पत्नी को उसने कभी इस बात का अहसास ना होने दिया था लेकिन आज भी नीलम से सच्चा प्यार करता था|
एक दिन ऋषि कुछ फाइल्स तलाश कर रहा था कि अचानक उसे नीलम का वो बचपन का Identity Card मिल गया| उसपर छपे नीलम के प्यारे से चेहरे को देखकर ऋषि भावुक हो उठा कि तभी पत्नी अंदर आ गयी और उसने भी वह फोटो देख ली|
पत्नी – यह कौन है ? जरा इसकी फोटो मुझे दिखाओ
ऋषि – अरे कुछ नहीं, ये ऐसे ही बचपन में दोस्त थी
पत्नी – अरे यह तो मेरी ही फोटो है, ये मेरा बचपन का फोटो है,, देखो ये लिखा “सरस्वती कान्वेंट स्कूल” यहीं तो पढ़ती थी मैं ऋषि यह सुनकर ख़ुशी से पागल सा हो गया – क्या है तुम्हारी फोटो है ? मैं इस लड़की से बचपन से बहुत प्यार करता हूँ
नीलम ने अब ऋषि को अपनी पर्सनल डायरी दिखाई जहाँ नीलम की कई बचपन की फोटो लगीं थीं| ऋषि की पत्नी वास्तव में वही नीलम थी जिसे वह बचपन से प्यार करता था|
नीलम ने ऋषि के आंसू पौंछे और प्यार से उसे गले लगा लिया क्यूंकि वह आज से नहीं बल्कि बचपन से ही उसका चाहने वाला था|ऋषि बार बार भगवान् का शुक्रिया अदा कर रहा था!!
दोस्तों वो कहते हैं ना कि प्यार अगर सच्चा हो तो रंग लाता ही है| ठीक वही हुआ ऋषि और नीलम के साथ भी....

Wednesday, 5 September 2018

शिक्षक दिवस 2018

भारतीय शिक्षक दिवस

एक व्यक्ति के जीवन को आकार देने में उसके माता-पिता से ज्यादा एक अच्छे शिक्षक का योगदान होता है। हमारे देश की संस्कृति में शिक्षक को भगवान से ऊपर स्थान दिया गया है। किसी एक के जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने में एक अच्छे गुरु का मार्गदर्शन और सहायता बहुत मायने रखता है। अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों में अपने गुरु के द्वारा निभाये गये निर्माणकर्ता की भूमिका को हर सफल इंसान हमेशा याद रखता है, शिक्षक के कार्यों को धन्यवाद शब्द में समाहित नहींकिया जा सकता है। विद्यार्थीयों के जीवन को बेहतर बनाने के दौरान गुरु सबसे ईमानदारी से कार्य करता है, पढ़ाई-लिखाई के अलावा दूसरे पाठ्येतर क्रियाओं में भी शिक्षक विद्यार्थीयों का ध्यान रखते है। अपने जीवन के हर पहलू और मार्गदर्शन के लिये विद्यार्थी अपने शिक्षक पर निर्भर रहता है; और एक अच्छा गुरु कभी अपने चेले को निराश नहीं करता है।
लाखों विद्यार्थीयों के भविष्य को गढ़ने तथा सहायता करने में अनगिनत शिक्षकों के द्वारा दिये गये योगदान का धन्यवाद और सम्मान करने के लिये हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है और इसी के परिणामस्वरुप भारत की किस्मत आकार ले रही है।


शिक्षक दिवस समारोह की उत्पत्ति

डॉक्टर सर्वपल्ली राधकृष्णन के सम्मान में 1962 से शिक्षक दिवस के रुप में मनाने के लिये ये दिन चिन्हित किया गया है जो 5 सितंबर 1888 को पैदा हुए थे। डॉक्टर सर्वपल्ली राधकृष्णन एक महान अध्येता, दार्शनिक और आधुनिक भारत के शिक्षक थे साथ ही उन्हें 1954 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। वो 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। इसलिये ये केवल स्वाभाविक था कि पूरे देश भर में लाखों अनजान शिक्षकों को सम्मान देने के लिये उनका जन्म दिन मनाया जाता है। ये उनकी इच्छा थी कि हर साल 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाने के बजाय पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रुप में इस दिन को मनाना ज्यादा बेहतर होगा।
भारत का शिक्षक दिवस दुनिया के शिक्षक दिवस से अलग है जोकि पूरे विश्व में 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।

समारोह का तरीका

इस दिन देश के हर स्कूल में, अपने गुरु के प्रति इज्जत और प्यार के प्रतीक के रुप में विद्यार्थी कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा क्रिया-कलापों का प्रबंधन और प्रदर्शन करते है। विद्यार्थीयों से अच्छे परिणाम पाने और स्कूल के विकास में अपने योगदान के लिये अद्भुत् शिक्षकों को पुरस्कृत भी किया जाता है।
अपने पसंदीदा शिक्षक के प्रति स्नेह और आभार प्रकट करने के लिये विद्यार्थी खुद से भी गुरु को उपहार देता है। विद्यार्थी और शिक्षक के बीच में एक जीवन-पर्यन्त संबंध विकसित हो जाता है। शिक्षक भी इस दिन पर खुद को खास महसूस करता है क्योंकि उसके कड़ी मेहनत और ईमानदारी को सम्मान दिया जाता है।
राष्ट्र को बनाने में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्व और सार्थक होती है; इसलिये ये जरुरी है कि हम उनका अत्यधिक सम्मान और आभार जताएँ और विद्यार्थी-शिक्षक के खास संबंध के दिन को 5 सितंबर के रुप में मनाये।


शिक्षक दिवस का इतिहास (Teacher's Day History)
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan) की जयंति 5 सितंबर को होती है. उनके जन्मदिन के मौके पर पूरा देश 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher's Day) के रूप मेंमनाता है. राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे. उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए. वह पढ़ाने से ज्यादा छात्रों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे. वह पढ़ाई के दौरान काफी खुशनुमा माहौल बनाकर रखते थे. 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.


शिक्षक दिवस का महत्व (Teacher's Day Importance)
शिक्षक दिवस पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. प्राचीन काल से ही गुरूओं का हमारे जीवन में बड़ा योगदान रहा है. गुरूओं से प्राप्त ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं. शिक्षक दिवस सभी शिक्षकों और गुरूओं को समर्पित है. इस दिुन शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है.

शिक्षक दिवस पर उद्धरण (कोट्स)
विद्यार्थी के जीवन में एक शिक्षक का बहुत अहम रोल होता है। ये बच्चों के भविष्य के वास्तविक आकृतिकारक होते है जिन्हें कभी भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। शिक्षा को असरदार और मजेदार बनाने के लिये शिक्षक अपना पाठ खुद से तैयार करते है साथ ही विद्यार्थीयों की पढ़ाई को आसान बनाते है। यहाँ हम कुछ पूरी दुनिया के प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा शिक्षकों के बारे में कहा गया कुछ प्रभावकारी, प्रेरणादायी और रोचक उद्धरणों की सूची दे रहे है। आप इनका प्रयोग अपने गुरु के जन्मदिन, शिक्षक दिवस या दूसरे अवसरों पर कर सकते है।
 “मैं धन्य महसूस करता हूँ मैं विद्यार्थीयों को संबोधित कर सकता हूँ जो भारत के भविष्य है”।– नरेन्द्र मोदी
“समाज के लिये अध्यापकों के महत्व को अवश्य ध्यान में रखना चाहिये”।- नरेन्द्र मोदी
“जब तक शिक्षक अपना बकाया पायेंगे बदलाव लाना मुश्किल है”।- नरेन्द्र मोदी
“हमें जरुर ये प्रश्न पूछना चाहिये कि क्यों अच्छा विद्यार्थी शिक्षक नहीं बनता”।- नरेन्द्र मोदी
“जब मैं जापान में एक स्कूल में गया मैंने देखा कि स्कूल को साफ करने के लिये गुरु और शिष्य दोनों कार्य करते है मैं आश्चर्यचकित था कि क्यों हम ऐसा भारत में नहीं कर सकते”।- नरेन्द्र मोदी
“एक विद्यार्थी के नाते मैं आश्वस्त हूँ कि आपके कई सपने होंगे। अगर आप दृढ़प्रतिज्ञ हो जाएँ आगे बढ़ने के लिये तो कोई आपको रोक नहीं सकता। हमारे युवा प्रतिभावान है”।–नरेन्द्र मोदी
“भारत एक युवा राष्ट्र है। क्या हम अच्छे शिक्षकों के निर्यात के बारे में नहीं सोच सकते ?” - नरेन्द्र मोदी
“गूगल गुरु पर जानकारी प्राप्त करना आसान है लेकिन वो ज्ञान के बराबर नहीं होगा”।- नरेन्द्र मोदी
“राष्ट्र के प्रगति के लिये विद्यार्थी और शिक्षक दोनों को आगे बढ़ना चाहिये”।- नरेन्द्र मोदी
“अगर आप दृढ़ संकल्पी है तो कोई भी आपको आपके सपनों को निर्धारित करने से नही रोकेगा”।–नरेन्द्र मोदी
“अगर आपकी शिक्षा पर्याप्त नहीं है, अनुभव आपको सिखाएगा”।- नरेन्द्र मोदी
“हर एक को खेलना और पसीना बहाना चाहिये। जीवन किताबों के दलदल में नहीं फँसी होनी चाहिये”।- नरेन्द्र मोदी
“तकनीक का महत्व हर दिन बढ़ रहा है। तकनीक को अपने बच्चों से हमें नहीं छीनना चाहिये अगर हम ऐसा करते है तो ये सामाजिक अपराध होगा”।-नरेन्द्र मोदी
“डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने देश की अच्छे से सेवा की, उन्होंने अपना जन्मदिन नहीं मनाया, उन्होंने इस दिन को शिक्षकों के लिये मनाया”।- नरेन्द्र मोदी
“हम चाहते है कि राष्ट्र निर्माण लोगों का आंदोलन हो”।–नरेन्द्र मोदी
“एक अच्छा शिक्षक उम्मीद को प्रेरणा दे सकता है, कल्पनाओं को सुलगा सकता है और सीखने के प्यार को मन में बैठा सकता है”।–ब्रैड हेनरी
“उत्कृष्ठ शिक्षक से सराहना के साथ कोई पीछे देखता है लेकिन उनको आभार के साथ जिन्होंने मानव एहसास को छुआ है। पाठ्यक्रम बहुत जरुरी कच्छी सामाग्री होती है लेकिन पौधों और बच्चों की आत्मा के बढ़ने के लिये ताप बड़ा तत्व होता है”।– कार्ल जंग
“एक अच्छा शिक्षक एक अच्छे मनोरंजक की तरह पहले अपने श्रोताओं का ध्यानाकर्षण करता है तब वो पाठ पढ़ा सकता है”।–जॉन हेनरिक क्लार्क
“जीवन में सफल होने की कुंजी शिक्षा है और अपने विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक चिरस्थायी प्रभाव डालता है”।– सोलोमन ओरटीज़
“सृजनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में हर्ष को जागृत करने के लिये शिक्षक की कला श्रेष्ठ होती है”।–अल्बर्ट आइंस्टीन
“मैं यहाँ इस विश्वास से आया हूँ कि एक महान शिक्षक महान कलाकार होता है और उनके जैसे कलाकार कम ही होते है शिक्षण शायद सभी कलाओं में सबसे महान हो सकता है क्योंकि उत्साह और मानव दिमाग का माध्यम है”।–जॉन स्टेनबेक
“आप शिक्षक से मदद ले सकते है लेकिन एक कमरे में अकेले बैठकर आपको खुद से बहुत कुछ सीखने के लिये अवश्य जाना चाहिये”।–डॉक्टर सियस
“हर बच्चे के जीवन में एक ध्यान देने वाला वयस्क होना चाहिये और वो हमेशा जैविक माता-पिता या पारिवारिक सदस्य ही नहीं। वो दोस्त या पड़ोसी भी हो सकता है प्राय: वो एक गुरु होता है”।– जो मशीन
“अच्छे शिक्षक जानते है कि विद्यार्थी के जीवन को सबसे बेहतर देना है”।– चार्ल्स कुराल्ट
“मैंने बहुत बोलने वाले से चुप रहना सीखा है, सहनशीलता असहिष्णु से, और अत्याचारी से दया। फिर भी अजीब है मैं उन शिक्षकों का अधन्यवादी हूँ”।– खलिल गिब्रान
“एक शिक्षक अनन्तकाल तक प्रभावशाली हो सकता है; वो नहीं कह सकता कि कहाँ पर उसका प्रभाव समाप्त होगा”।– हेनरी एड्म्स
“चॉक और चुनौती के सही मिश्रण से शिक्षक जीवन बदल सकता है”।– जोयेस मेयर
“अगर मैं दो व्यक्तियों के साथ चल रहा हूँ, दोनों मेरे शिक्षक का कार्य करेंगे, मैं किसी एक का अच्छा विचार लूँगा और अनुसरण करुँगा और दूसरे का बुरा विचार लेकर खुद में उसका सुधार करुँगा”।– कनफ्यूसियस
“आविष्कार को सहायता करना शिक्षण की कला है”।– मार्क वेन डोरेन
“शिक्षण एकमात्र मुख्य पेशा है जिसके लिये अभी तक हमने कोई तरीका नहीं अपनाया है जो एक औसत सामर्थ्य और ठीक ढंग से काम करने वाला व्यक्ति तैयार कर सके शिक्षण में हम स्वाभाविक चीजों पर निर्भर करते है; जो जानता है कि कैसे पढ़ाना है”।– पीटर ड्रकर
“एक आधुनिक शिक्षक का कार्य जंगल को काटना नहीं बल्कि मरुभूमि की सिंचाई करना है।”-सीएस लेविस
“सपनों की शुरुआत शिक्षक के साथ होती है जो आपमें भरोसा करता है, जो आपको धक्का देकर और खींचकर अगले पठार तक ले जाता है। कई बार आप पर नुकीले डंडे से प्रहार करता है जिसे ‘सच्चाई’ कहते है”।–डैन रैदर
“एक अच्छा शिक्षक पूरे जीवन काल में हो सकता है एक दुष्ट को अच्छा नागरिक में परिवर्तन कर दे”।– फिलीप विलिये।
“एक औसत शिक्षक जटिलता को समझाएगा, गुणी शिक्षक सहजता को बतायेगा”।–रॉबर्ट ब्रॉल्ट
“मेरा मानना है कि शिक्षक इस समाज के सबसे महत्वपूर्ण और जिम्मेदार सदस्य होते है क्योंकि धरती के भविष्य को उसका पेशेवर प्रयास प्रभावित करेगा”।– हेलन कॉल्डिकॉट
“आदर्श शिक्षक वो है जो खुद को पुल की तरह इस्तेमाल करे जिसपर अपने विद्यार्थीयों को चलने के लिये आमंत्रित करता है, उनके यात्रा को सुगम बनाए, खुशी से विनाश को खत्म करे, तथा खुद से पुल बनाने के लिये प्रोत्साहित करे”।– निकोस कज़ानत्ज़ाकिस
“एक शिक्षक जो एक केवल अच्छे कार्य के लिये एक एहसास जागृत कर सकता है, केवल एक कविता के लिये, वो उससे ज्यादा प्राप्त करेगा जो रुप और नाम के साथ वर्गीकृत प्राकृतिक वस्तुओं के कतारों से हमारी यादों को भर देगा ”।–जोहान वोल्फगैंग वॉन रोएथे
“एक शिक्षक जो पढ़ाने का प्रयास करता है बिना अपने शिष्यों को प्रेरणा दिये सिखाने की इच्छा रखता है एक ठंडे लोहे पर हथौड़ा मारने जैसा है”।–होरेस मन
“हमने खोजा कि शिक्षा वो नहीं है जो शिक्षक पढ़ाता है लोकिन ये प्राकृतिक प्रक्रिया है जो मानव में अनायास ही विकसित होता है”।–मारिया मॉनटेसरी
“जीवन के लिये मैं अपने पिता का आभारी हूँ लेकिन अच्छे से जीने के लिये अपने शिक्षक का आभारी हूँ”।–अलेक्जेंडर द ग्रेट
“आप सीखना कभी बंद नहीं करते, अगर आपके पास गुरु है, आप विद्यार्थी बनना कभी नहीं छोड़ेंगे”।–एलिजाबेथ रोम
“एक अच्छा शिक्षक एक दृढ़निश्चयी व्यक्ति होता है”।–गिल्बर्ट हाईएट
“मैं एक ऐसे शिक्षक को पसंद करुँगा जो होमवर्क के अलावा भी आपको कुछ घर ले जाने को दे”।–लिलि टॉमलिन
“अगर आप को किसी को कुर्सी पर बैठाना है, गुरु को बैठाइये वो समाज के हीरो है”।–गाय कावासाकी
“मैं भाग्यशाली था कि सही समय पर सही सलाहकार और सही शिक्षक से मिला”।–जेम्स लेविन
“सबसे बेहतर मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिनको मैं जानता हूँ शिक्षक होते है करोड़ों को दिया गया उनका ज्ञान कार्यनीति होती है”।–माइकल पोर्टर

Thanks & Regards,
Sandeep Kumar

Tuesday, 4 September 2018

Hindi Horror Stories

ये  कहानी बिलकुल सच्ची है. 
1.बात करीब आज से 15 साल पहले की है जब मैं अपने बोर्डिंग स्कूल में पढ़ा करता था. हमारा स्कूल एक christian convent स्कूल था जो की एक बहुत ही पुरानी चर्च के पास बना था. हमारे स्कूल का इलाका बहुत ही बड़ा था, जिसमे हॉस्टल, playground वगैरा सब कुछ था. एक बार हमारे यहाँ एक नयी बिल्डिंग बनायीं जा रही थी हॉस्टल के लिए. तो उसके लिए जमीन की खुदाई की जा रही थी. खुदाई के दौरान वहां कई सरे नर कंकाल पाए गए. उनमे से कुछ को तो हमारे प्रिंसिपल ने हमारी बायो लैब में रखवा दिया और कुछ को वही दबा रहने दिया क्युकी वो टूटी फूटी हालत में थे.
कुछ दिनों बाद वो नयी हॉस्टल की बिल्डिंग बन के तैयार हो गयी. और वहां पर बच्चे रहने लगे. बिल्डिंग के पीछे की तरफ लोहे की सीढिया बनी हुई थी इमरजेंसी के लिए.
नई बिल्डिंग बनने के कुछ दिन बाद ही अजीब अजीब सी घटनायें होने लगी बिल्डिंग में. किसी के रूम में चीजें अपने आप गिरने लगती तो किसी को सोते हुए कोई साया पकड़ के हिला देता. किसी को नहीं समझ आ रहा था की क्या हो रहा है. स्कूल की मैनेजमेंट ने भी ख़ास ध्यान नहीं दिया ये सोच के की बच्चे आपस में मजाक करते होंगे, लेकिन धीरे धीरे मामला सीरियस होता गया.

2.एक रात पांचवी मंजिल पर रहने वाले एक बच्चे ने ऊपर से कूदकर ख़ुदकुशी कर ली. सब सकते में आ गए. पुलिस ने छानबीन शुरू की तो यही नतीजा निकला की बच्चे ने खुद छलांग लगायी थी बिल्डिंग से क्युकी वहां और कोई नहीं था.
लेकिन अगले ही एक महीने में 3 और बच्चे बिलकुल उसी तरह से बिल्डिंग से कूद गए और मर गए.
इसकी बाद स्कूल मैनेजमेंट के होश उड़ गए. और सबने मान लिया की यहाँ जरूर कोई ऊपरी चक्कर है.
अगले ही दिन साथ वाली चर्च के बूढ़े फादर को बुलाया गया. वो उस लोहे की सीढ़ी के पास आते ही समझ गए की यहाँ कुछ गड़बड़ है. उन्होंने प्रिंसिपल को बोलके उन सीढ़ियों को बंद करवा दिया और उसका शुद्धिकरण किया.बूढ़े फादर ने बताया की जहाँ वो बिल्डिंग बनी थी वहां भूतों का पूरा कबीला रहता था, और बिल्डिंग बनने से वो सारे भूत बहुत नाराज हो गए थे. इसलिए ये सब हरकतें हो रही थी वहां. और जो बच्चे बिल्डिंग सी कूदे हैं वो अपनी मर्जी सी नहीं बल्कि उनको जबरदस्ती भूतो ने धक्का दिया था बिल्डिंग से फादर वहां हर फ्राइडे को आते और हौली वाटर से उस जगह की शुद्धि करके जाते.धीरे धीरे सारी अजीब हरकतें कम होती चली गयी.
बिलकुल बंद तो नहीं हुई थी, क्युकी उसके बाद भी कई बच्चो ने बताया की उनके कमरे का सामान इधर उधर हो जाता है. लेकिन ख़ुदकुशी का कोई केस दुबारा नहीं हुआ. मैं उसके बाद दो साल और उस स्कूल में पढ़ा, लेकिन मुझे कुछ ऐसा महसूस नहीं हुआ वहां. हाँ लेकिन रात में जरूर उन सीढ़ियों के पास में जाने में डर जरूर लगता था.
3. ये किस्सा मेरे परिवार के एक बड़े चाचा जी के साथ हुआ था आज से करीब 5-6 साल पहले या शायद इससे भी पहले.सर्दियों के दिन थे और उन दिनों अँधेरा भी जल्दी ही हो जाता था.तू हुआ यूँ की चाचा जी एक शाम मग़रिब की नमाज अदा करके मस्जिद से घर वापिस आ रहे थे.
मस्जिद हमारे घर से दो गली छोड़ के तीसरे वाली गली में थी. जो बीच वाली गली थी वो बहुत पतली और सुनसान रहती थी, और वहां कोई आया जाया नहीं करता था. horror stories  Horror stories in Hindi
तो चाचा जी जैसे ही उस गली में घुसे उन्होंने देखा की सामने से एक साइकिल का टायर अपने आप चलता हुआ उनके पास आ रहा है. जबकि उस गली में उस वक़्त कोई नहीं था बिलकुल सुनसान गली थी.
उन्होंने सोचा की शायद कोई बच्चा खेल रहा होगा और उसका टायर यहाँ आ गया होगा जैसा की आमतौर पर बच्चे टायर से खेलते हैं. horror storiesstories.
तो चाचा जी भी गली में आगे बढ़ते रहे, और वो टायर भी धीरे धीरे घूमता हुआ उनकी तरफ आने लगा.
चाचा जी को कुछ अजीब लगा, और उन्होंने ध्यान से उस टायर को देखा. horror stories i
फिर क्या था, उनके देखते ही वो टायर वहीं रुक गया.नोर्मल्ली अगर टायर ऐसे घूम रहा है और रुकता है तो नीचे गिर जाता है.लेकिन वो टायर बिलकुल सीधा खड़ा था.फिर देखते ही देखते वो टायर चाचा जी की आँखों के सामने अपनी shape change करने लगा और किसी जंगली जानवर की आकृति लेने लगा. की वो किसी बड़े काले कुत्ते के जैसा लग रहा था.कुत्ते की आकृति नीचे से बननी शुरू हुई. पहले उसके पंजे, पैर फिर धीरे धीरे पूरा बनने लगा.कुछ ही मिंटो बाद वो टायर पूरा कुत्ता बन चुका था. और सीधा सामने खड़े चाचा जी की तरफ घूर रहा था.ये देखते ही चाचा जी के होश उड़ गए और वो पसीना पसीना हो गए. वो हिलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन डर के मारे हिल भी नहीं पा रहे थे. 
वो बस चुपचाप वहां खड़े थे खम्बे की तरह.फिर कुछ पलो बाद वो कुत्ता गली के साथ में बनी चाचा जी इतना डर गए थे की उसके बाद भी हिलने की हिम्मत नहीं कर पाए और करीब एक घंटे तक वहीँ खड़े रहे.
करीब एक घंटे बाद उस गली से कोई गुजर रहा था, तो उसने चाचा जी से पूछा की वहां क्यों खड़े हो, तब जाके चाचा जी को होश आया. इसके बाद चाचा जी घर आये और हमें पूरा किस्सा सुनाया.इसके बाद करीब 3-4 दिन तक चाचा जी को बहुत तेज बुखार रहा.सोचता हूँ तो यकीन नहीं होता की ऐसे कैसे हो सकता है, लेकिन हमारे चाचा जी बहुत समझदार इंसान हैं और बहादुर भी हैं. उन्होंने जरूर कुछ न कुछ देखा था उस रात,झाड़ियों में कूद गया.
4.ये करीब २ साल पहले की बात है. मैने नयी नयी कार खरीदी थी , स्कार्पियो. गाड़ी चलने का भी बहुत शौक था मुझे. तो ये दिन यूँ ही सोचा की लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं. मेरे साथ मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त भी था.
तो रात के करीब ९ बजे हम अपनी कार में बैंगलोर से निकले मैसूर जाने के लिए.अपने रास्ते की बीच हम श्रीरंगपटना रुक गए सड़क किनारे स्टाल पर कुछ चाय पानी पीने के लिए.श्रीरंगपटना टीपू सुल्तान की राजधानी हुआ करती थी किसी समय पर. अब तो यहाँ पर बस पुराने किले और खंडर ही बचे हैं.चाय पीते पीते उस स्टाल के मालिक से बातें हनी लगी इधर उधर की. धीरे धीरे बात भूतो और आत्माओं पर आ गयी.
दुकान वाले ने बताया की वहां एक Col. Bailleys नाम का खंडहर है, और उसने वहां बहुत बार एक बड़ी बड़ी चमकती आँखों वाले भूत को देखा है. यही नहीं उसने बताया की वो भूत वहां कई लोगो को मार भी चुका है.
उसकी बात सुनके हमारा भी मन किया की हम भी उस Col. बैलेस के खंडहर में जाकर देखें की वहां कौन सा भूत है. तब करीब रात के 11.30 बजे थे. तो फिर हम उस तरफ चल दिए अपनी गाड़ी मे.वो खंडहर किसी गंजम गांव के पास पड़ता था.वहां के लोकल लोग बताते हैं की उस जगह पर टीपू सुल्तान ने करीब 500 अंग्रेज सैनिको को चेन में बांड के मौत के घाट उतरा था. जिनमें कर्नल Bailley भी एक था. और उन 500 सैनिको के भूत आज भी वहां घूमते हैं.आखिर हम उन खंडहरों के बीच पहुंच ही गए.हमने सड़क किनारे अपनी कार कड़ी कर दी. और कार के बोनट पर बैठ गए.रात के करीब १२ बज रहे थे. घुप्प अँधेरा था. लाइट का कोई नामोनिशान तक नहीं था.
हम वहीँ खड़े भूत का इंतजार करते रहे.तभी पता नहीं हम दोनों को एक डर सा लगने लगा. तो हम दोनों बोनट से उठ के कार के अंदर आकर बैठ गए. थोड़ी देर पहले तक हमें बिलकुल भी डर नहीं लग रहा था. लेकिन अचानक से दहशत सी आ गयी थी हमारे दिलो में. ना जाने क्यों. दिल जोर जोर से बजने लगा था.हमने कार के अंदर आके गेट लॉक कर दिए.करीब एक घंटा और बीत गया.धीरे धीरे हमारा डर भी काम हो गया. और हम हंसी मजाक करने लगे. इसी बीच मेरे दोस्त की आँख लग गयी और वो सोने लगा.करीब 15-20 मिनट बाद मुझे ऐसे लगा मानो हमारी कार के बहार कोई है और हमें घूर रहा है.लेकिन कुछ दिख नहीं रहा था अँधेरे के वजह से.
मैने अपने दोस्त को उठाया और उसने भी नींद भरी आँखों से बाहर देखा लेकिन कुछ नहीं दिखा.मुझे लगा शायद कुछ नहीं है और मेरा वहम है.मैने सिग्रेट जलाने के लिए माचिस जलाई तो माचिस की रोशनी में मुझे बाहर दो चमकती हुई आँखें दिखाई थी.वो देखते ही मैने एक झटके से अपनी कार की हेड लाइट on कर दी.
तो देखा की बाहर एक काले रंग का तेंदुआ खड़ा है.वो तेंदुआ आम तेंदुओं से बहुत ही बड़ा और भारी था.उसकी आंखें बिलकुल टोर्च की तरह जल रही थी.और वो सीधा हमारी तरफ घूर रहा था.२ मिनट तो तक तो हम दोनों हैरानी से उसको देखते रहे.फिर वो तेंदुआ हमारी तरफ बढ़ने लगा.बस फिर क्या था, मैने जल्दी से कार स्टार्ट करी और वहां से भाग निकला.उस दूकान वाले की बात सही निकली. चमकती आँखों वाला भूत तो नहीं लेकिन चमकती आँखों वाला तेंदुआ जरूर मिला हमें वहां.
Thanks & Regards
Sandeep Kumar

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