Account ID: pub-2276572159567559 Client ID: ca-pub-2276572159567559 Worldwide: Hindi Horror Stories Account ID: pub-2276572159567if559 Client ID: ca-pub-2276572159567559

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Dear sir, Welcome You tube channel ( worldwide YouTube Channel) My name is Sandeep Kumar I am Graduate , Jaipur university, Rajasthan, India. I am leaving in Ahmedabad. I am Business man, my business name is GMR Enterprises. Thanks n Regards, Sandeep Kumar.

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Tuesday, 4 September 2018

Hindi Horror Stories

ये  कहानी बिलकुल सच्ची है. 
1.बात करीब आज से 15 साल पहले की है जब मैं अपने बोर्डिंग स्कूल में पढ़ा करता था. हमारा स्कूल एक christian convent स्कूल था जो की एक बहुत ही पुरानी चर्च के पास बना था. हमारे स्कूल का इलाका बहुत ही बड़ा था, जिसमे हॉस्टल, playground वगैरा सब कुछ था. एक बार हमारे यहाँ एक नयी बिल्डिंग बनायीं जा रही थी हॉस्टल के लिए. तो उसके लिए जमीन की खुदाई की जा रही थी. खुदाई के दौरान वहां कई सरे नर कंकाल पाए गए. उनमे से कुछ को तो हमारे प्रिंसिपल ने हमारी बायो लैब में रखवा दिया और कुछ को वही दबा रहने दिया क्युकी वो टूटी फूटी हालत में थे.
कुछ दिनों बाद वो नयी हॉस्टल की बिल्डिंग बन के तैयार हो गयी. और वहां पर बच्चे रहने लगे. बिल्डिंग के पीछे की तरफ लोहे की सीढिया बनी हुई थी इमरजेंसी के लिए.
नई बिल्डिंग बनने के कुछ दिन बाद ही अजीब अजीब सी घटनायें होने लगी बिल्डिंग में. किसी के रूम में चीजें अपने आप गिरने लगती तो किसी को सोते हुए कोई साया पकड़ के हिला देता. किसी को नहीं समझ आ रहा था की क्या हो रहा है. स्कूल की मैनेजमेंट ने भी ख़ास ध्यान नहीं दिया ये सोच के की बच्चे आपस में मजाक करते होंगे, लेकिन धीरे धीरे मामला सीरियस होता गया.

2.एक रात पांचवी मंजिल पर रहने वाले एक बच्चे ने ऊपर से कूदकर ख़ुदकुशी कर ली. सब सकते में आ गए. पुलिस ने छानबीन शुरू की तो यही नतीजा निकला की बच्चे ने खुद छलांग लगायी थी बिल्डिंग से क्युकी वहां और कोई नहीं था.
लेकिन अगले ही एक महीने में 3 और बच्चे बिलकुल उसी तरह से बिल्डिंग से कूद गए और मर गए.
इसकी बाद स्कूल मैनेजमेंट के होश उड़ गए. और सबने मान लिया की यहाँ जरूर कोई ऊपरी चक्कर है.
अगले ही दिन साथ वाली चर्च के बूढ़े फादर को बुलाया गया. वो उस लोहे की सीढ़ी के पास आते ही समझ गए की यहाँ कुछ गड़बड़ है. उन्होंने प्रिंसिपल को बोलके उन सीढ़ियों को बंद करवा दिया और उसका शुद्धिकरण किया.बूढ़े फादर ने बताया की जहाँ वो बिल्डिंग बनी थी वहां भूतों का पूरा कबीला रहता था, और बिल्डिंग बनने से वो सारे भूत बहुत नाराज हो गए थे. इसलिए ये सब हरकतें हो रही थी वहां. और जो बच्चे बिल्डिंग सी कूदे हैं वो अपनी मर्जी सी नहीं बल्कि उनको जबरदस्ती भूतो ने धक्का दिया था बिल्डिंग से फादर वहां हर फ्राइडे को आते और हौली वाटर से उस जगह की शुद्धि करके जाते.धीरे धीरे सारी अजीब हरकतें कम होती चली गयी.
बिलकुल बंद तो नहीं हुई थी, क्युकी उसके बाद भी कई बच्चो ने बताया की उनके कमरे का सामान इधर उधर हो जाता है. लेकिन ख़ुदकुशी का कोई केस दुबारा नहीं हुआ. मैं उसके बाद दो साल और उस स्कूल में पढ़ा, लेकिन मुझे कुछ ऐसा महसूस नहीं हुआ वहां. हाँ लेकिन रात में जरूर उन सीढ़ियों के पास में जाने में डर जरूर लगता था.
3. ये किस्सा मेरे परिवार के एक बड़े चाचा जी के साथ हुआ था आज से करीब 5-6 साल पहले या शायद इससे भी पहले.सर्दियों के दिन थे और उन दिनों अँधेरा भी जल्दी ही हो जाता था.तू हुआ यूँ की चाचा जी एक शाम मग़रिब की नमाज अदा करके मस्जिद से घर वापिस आ रहे थे.
मस्जिद हमारे घर से दो गली छोड़ के तीसरे वाली गली में थी. जो बीच वाली गली थी वो बहुत पतली और सुनसान रहती थी, और वहां कोई आया जाया नहीं करता था. horror stories  Horror stories in Hindi
तो चाचा जी जैसे ही उस गली में घुसे उन्होंने देखा की सामने से एक साइकिल का टायर अपने आप चलता हुआ उनके पास आ रहा है. जबकि उस गली में उस वक़्त कोई नहीं था बिलकुल सुनसान गली थी.
उन्होंने सोचा की शायद कोई बच्चा खेल रहा होगा और उसका टायर यहाँ आ गया होगा जैसा की आमतौर पर बच्चे टायर से खेलते हैं. horror storiesstories.
तो चाचा जी भी गली में आगे बढ़ते रहे, और वो टायर भी धीरे धीरे घूमता हुआ उनकी तरफ आने लगा.
चाचा जी को कुछ अजीब लगा, और उन्होंने ध्यान से उस टायर को देखा. horror stories i
फिर क्या था, उनके देखते ही वो टायर वहीं रुक गया.नोर्मल्ली अगर टायर ऐसे घूम रहा है और रुकता है तो नीचे गिर जाता है.लेकिन वो टायर बिलकुल सीधा खड़ा था.फिर देखते ही देखते वो टायर चाचा जी की आँखों के सामने अपनी shape change करने लगा और किसी जंगली जानवर की आकृति लेने लगा. की वो किसी बड़े काले कुत्ते के जैसा लग रहा था.कुत्ते की आकृति नीचे से बननी शुरू हुई. पहले उसके पंजे, पैर फिर धीरे धीरे पूरा बनने लगा.कुछ ही मिंटो बाद वो टायर पूरा कुत्ता बन चुका था. और सीधा सामने खड़े चाचा जी की तरफ घूर रहा था.ये देखते ही चाचा जी के होश उड़ गए और वो पसीना पसीना हो गए. वो हिलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन डर के मारे हिल भी नहीं पा रहे थे. 
वो बस चुपचाप वहां खड़े थे खम्बे की तरह.फिर कुछ पलो बाद वो कुत्ता गली के साथ में बनी चाचा जी इतना डर गए थे की उसके बाद भी हिलने की हिम्मत नहीं कर पाए और करीब एक घंटे तक वहीँ खड़े रहे.
करीब एक घंटे बाद उस गली से कोई गुजर रहा था, तो उसने चाचा जी से पूछा की वहां क्यों खड़े हो, तब जाके चाचा जी को होश आया. इसके बाद चाचा जी घर आये और हमें पूरा किस्सा सुनाया.इसके बाद करीब 3-4 दिन तक चाचा जी को बहुत तेज बुखार रहा.सोचता हूँ तो यकीन नहीं होता की ऐसे कैसे हो सकता है, लेकिन हमारे चाचा जी बहुत समझदार इंसान हैं और बहादुर भी हैं. उन्होंने जरूर कुछ न कुछ देखा था उस रात,झाड़ियों में कूद गया.
4.ये करीब २ साल पहले की बात है. मैने नयी नयी कार खरीदी थी , स्कार्पियो. गाड़ी चलने का भी बहुत शौक था मुझे. तो ये दिन यूँ ही सोचा की लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं. मेरे साथ मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त भी था.
तो रात के करीब ९ बजे हम अपनी कार में बैंगलोर से निकले मैसूर जाने के लिए.अपने रास्ते की बीच हम श्रीरंगपटना रुक गए सड़क किनारे स्टाल पर कुछ चाय पानी पीने के लिए.श्रीरंगपटना टीपू सुल्तान की राजधानी हुआ करती थी किसी समय पर. अब तो यहाँ पर बस पुराने किले और खंडर ही बचे हैं.चाय पीते पीते उस स्टाल के मालिक से बातें हनी लगी इधर उधर की. धीरे धीरे बात भूतो और आत्माओं पर आ गयी.
दुकान वाले ने बताया की वहां एक Col. Bailleys नाम का खंडहर है, और उसने वहां बहुत बार एक बड़ी बड़ी चमकती आँखों वाले भूत को देखा है. यही नहीं उसने बताया की वो भूत वहां कई लोगो को मार भी चुका है.
उसकी बात सुनके हमारा भी मन किया की हम भी उस Col. बैलेस के खंडहर में जाकर देखें की वहां कौन सा भूत है. तब करीब रात के 11.30 बजे थे. तो फिर हम उस तरफ चल दिए अपनी गाड़ी मे.वो खंडहर किसी गंजम गांव के पास पड़ता था.वहां के लोकल लोग बताते हैं की उस जगह पर टीपू सुल्तान ने करीब 500 अंग्रेज सैनिको को चेन में बांड के मौत के घाट उतरा था. जिनमें कर्नल Bailley भी एक था. और उन 500 सैनिको के भूत आज भी वहां घूमते हैं.आखिर हम उन खंडहरों के बीच पहुंच ही गए.हमने सड़क किनारे अपनी कार कड़ी कर दी. और कार के बोनट पर बैठ गए.रात के करीब १२ बज रहे थे. घुप्प अँधेरा था. लाइट का कोई नामोनिशान तक नहीं था.
हम वहीँ खड़े भूत का इंतजार करते रहे.तभी पता नहीं हम दोनों को एक डर सा लगने लगा. तो हम दोनों बोनट से उठ के कार के अंदर आकर बैठ गए. थोड़ी देर पहले तक हमें बिलकुल भी डर नहीं लग रहा था. लेकिन अचानक से दहशत सी आ गयी थी हमारे दिलो में. ना जाने क्यों. दिल जोर जोर से बजने लगा था.हमने कार के अंदर आके गेट लॉक कर दिए.करीब एक घंटा और बीत गया.धीरे धीरे हमारा डर भी काम हो गया. और हम हंसी मजाक करने लगे. इसी बीच मेरे दोस्त की आँख लग गयी और वो सोने लगा.करीब 15-20 मिनट बाद मुझे ऐसे लगा मानो हमारी कार के बहार कोई है और हमें घूर रहा है.लेकिन कुछ दिख नहीं रहा था अँधेरे के वजह से.
मैने अपने दोस्त को उठाया और उसने भी नींद भरी आँखों से बाहर देखा लेकिन कुछ नहीं दिखा.मुझे लगा शायद कुछ नहीं है और मेरा वहम है.मैने सिग्रेट जलाने के लिए माचिस जलाई तो माचिस की रोशनी में मुझे बाहर दो चमकती हुई आँखें दिखाई थी.वो देखते ही मैने एक झटके से अपनी कार की हेड लाइट on कर दी.
तो देखा की बाहर एक काले रंग का तेंदुआ खड़ा है.वो तेंदुआ आम तेंदुओं से बहुत ही बड़ा और भारी था.उसकी आंखें बिलकुल टोर्च की तरह जल रही थी.और वो सीधा हमारी तरफ घूर रहा था.२ मिनट तो तक तो हम दोनों हैरानी से उसको देखते रहे.फिर वो तेंदुआ हमारी तरफ बढ़ने लगा.बस फिर क्या था, मैने जल्दी से कार स्टार्ट करी और वहां से भाग निकला.उस दूकान वाले की बात सही निकली. चमकती आँखों वाला भूत तो नहीं लेकिन चमकती आँखों वाला तेंदुआ जरूर मिला हमें वहां.
Thanks & Regards
Sandeep Kumar

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