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Monday 3 September 2018

डायनासोर: कितना जानते हैं आप इसके बारे में?

डायनासोर के बारे में सुन-सुनकर और हॉलीवुड की बेहतरीन फिल्में देख-देखकर एक पीढ़ी बड़ी हुई है. 1993 में आयी पहली ‘जुरासिक पार्क’ फिल्म के बाद अब तक आयी कुल चार फिल्में सुपर डुपर हिट रही हैं, तो 2018 में इस सीरीज की फालेन किंगडम का इसके फैंस बेसब्री से इन्तजार कर रहे होंगे!
इसके अतिरिक्त, दुनिया में सर्वाधिक जिन विषयों पर किताबें बिकी हैं, उसमें डायनासोर्स पर लिखी किताबें भी शामिल हैं.
जाहिर तौर पर डायनासोर और उनकी कहानी लोगों को जबरदस्त ढंग से अपनी ओर खींचती रही है. अभी हाल ही में साइंटिस्ट्स के एक ग्रुप ने पुर्तगाली समुद्र तट के पास ‘फ्रिल्ड शार्क’ नामक एक ऐसी मछली की खोज की है, जिसे डायनासोर के काल का माना जा रहा है.
इस विषय पर अब तक हुई शोध और फ़िल्मी कल्पनाओं की उड़ान ने इस सम्बन्ध में एक नयी हलचल उत्पन्न की है, इस बात में दो राय नहीं. इस सम्बन्ध में कुछ एक रोचक तथ्यों को समझना दिलचस्प रहेगा…

तो अभी जीवित हैं डायनासोर्स?

इन विशालकाय डायनासोर्स के बारे में सामान्य धारणा यह है कि यह पूरी तरह विलुप्त हो गए हैं, किन्तु कुछ शोधों के अनुसार बताया गया है कि डायनासोर अभी विलुप्त नहीं हुए हैं. जी हाँ, पृथ्वी पर उनकी करीब 10,000 स्पीसीज आज भी मौजूद हैं, जो कि बर्ड्स के रूप में हैं.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और रॉयल ऑन्टेरियो म्यूजियम की एक टीम डायनासोर की 426 स्पीसीज के पैरों की हड्डियों का अध्ययन कर इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं. इसी रिसर्च के मुताबिक, तमाम दूसरे जीवों की तरह डायनासोर भी अपनी उत्पत्ति के कुछ समय बाद (करीब 220 करोड़ साल पहले ही) अपने बॉडी को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर चुके थे.
शोध यह भी कहता है कि बाद में बदलाव का सिस्टम स्लो हो गया, किन्तु जिन स्पीसीज की बनावट बर्ड्स के करीब थी, उनमें यह डेवलपमेंट कंटिन्यू रहा, जो अगले 170 करोड़ वर्षो तक अनवरत चला.
जाहिर तौर पर तमाम प्रजातियों की विलुप्ति के बावजूद आज भी यह हमारे बीच मौजूद हैं.

डायनासोर्स के नष्ट होने की थियरी!

इस विषय पर कई शोध सामने आये हैं, लेकिन कोलकाता के शंकर चटर्जी जो अमेरिका की टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी में भू-तत्व के प्राध्यापक हैं, उनकी थियरी काफी नयी बतायी जा रही है.
डायनासोर्स के नष्ट होने पर मिस्टर चटर्जी ने पोर्टलैंड में जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ अमेरिका के एनुअल फोरम में अपनी बातें तमाम वैज्ञानिकों के सामने रखीं. इसके अनुसार, स्पेस से तकरीबन 40 किलोमीटर के व्यास वाला एक पिंड पृथ्वी से इंडिया के ही हिस्से में आ टकराया था, जिससे हाइड्रोजन बम विस्फोट से 10 हजार गुना अधिक असर हुआ.
इसके फलस्वरूप, सुनामी के साथ साथ अर्थ पर कई ज्वालामुखी फट पड़े.
तत्पश्चात, महीनों तक आसमान में गैस की परतें और अँधेरा छाया रहा. जाहिर तौर पर सूर्य की रौशनी पृथ्वी तक नहीं पहुँच सकी और गंभीर फ़ूड क्राइसिस उत्पन्न हो गयी.

डायनासोर्स से जुड़े ‘अन्य’ रोचक फैक्ट्स

–अक्सर ऐसा कहा जाता है कि दुनिया में डायनासोर ही पहले जीव थे, जबकि इनसे भी पहले कुछ जीवों का अस्तित्व था. इसमें अर्चोसौर्स (भीमकाय लिज़र्ड) और पेलीकोसौर्स जैसे नाम लिए जा सकते हैं, जो डायनासोर्स से तकरीबन 20 मिलियन वर्ष पहले धरती  मौजूद थे.
–डायनासोर नाम की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीक शब्द से हुई है. इसके अनुसार, खतरनाक लिज़र्ड का बोध होता है. वैसे इस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल 1842 में सर रिचर्ड ओवेन ने किया था.
–इतने पहले का जीव होने के बावजूद बोलीविया में डायनासोर्स के फुट-प्रिंट सामने आने की बात कही गयी. मतलब हड्डियों और दाँतों तक तो ठीक है, लेकिन फुटप्रिंट मिलना आश्चर्य तो पैदा करता ही है, पर यह सच है.
–कुछ रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि कुछ डायनासोर्स की उम्र 70-300 साल के बीच होती थी. और हाँ, डायनासोर को बेशक सबसे बड़ा माना जाता हो, किन्तु ब्लू व्हेल उससे बड़ी जीव है जो आज भी मौजूद है.
डायनासोर्स का अस्तित्व धरती के सभी महाद्वीपों में था, यहाँ तक कि अंटार्टिका तक में.
–मोसेसौर्स, इचथ्योसॉर्स, पटेरोसौर्स, प्लेसिओसॉरस और डिमेट्रोडों को भी सामान्यतः डायनासोर्स ही समझा जाता है, किन्तु हकीकत यह है कि सिर्फ थल पर रहने वाले इन जीवों को ही डायनासोर्स कहा जाता है.
–सामान्यतः डायनासोर्स को प्रकृति के साथ संतुलन न बिठा पाने के कारण लुप्तप्राय माना जाता है, किन्तु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने धरती पर 165 मिलियन वर्षों तक राज किया, जबकि इंसानों का युग अधिकतम 2 मिलियन वर्ष ही माना जाता है.
–आपने किन्हीं कॉमिक्स में ही ठंडा खून रखने वाले किसी प्राणी के बारे में पढ़ा होगा, किन्तु वैज्ञानिकों के अनुसार कुछ डायनासोर्स भी कोल्ड-ब्लडेड थे तो बाकी वार्म-ब्लडेड.
–और लास्ट, बट नॉट लिस्ट इनफार्मेशन यह कि अधिकांश डायनासोर्स वेजीटेरियन थे.
और भी तमाम इनफार्मेशन इन विशालकाय जीवों के बारे में बतायी जा सकती है, तो आने वाले सालों में इनके बारे में लोगों की रुचि और भी बढ़ती ही जाएगी, इस बात में दो राय नहीं!
पर महत्वपूर्ण यह है कि उनके युग से मनुष्य क्या कुछ सीख सकता है और कैसे अपने काल को बेहतर कर सकता है, किस प्रकार प्रकृति के साथ संतुलन के नियम को वह साध सकता है.आप क्या सोचते हैं इन डायनासोर्स के बारे में?

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