गर्मी में रखें सेहत का ध्यान:-
गर्मियों की तपिश सेहत को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है। इस मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हमें परेशान करने लगती हैं, गर्मी में कई मौते गर्मी तरंगों के कारण निर्जलीकरण के कारण होती हैं।गर्मियों की तपिश सेहत को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है। इस मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हमें परेशान करने लगती हैं और कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जिनसे पीडि़त लोगों को इस मौसम में खास तौर पर एहतियात बरतनी चाहिए।
ऐसी ही 6 स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी जानकारियां और उनसे बचाव के उपाय।
हीट स्ट्रोक
मौसम के अधिक तापमान और गर्म हवाओं का सीधा असर हमारे नर्वस सिस्टम पर पड़ता है। इससे गर्मियों में अकसर हीट स्ट्रोक की समस्या हो जाती है, जिसे बोलचाल की भाषा में लू लगना भी कहा जाता है।लक्षण:-
अनावश्यक थकान एवं कमजोरी।
सिर और हाथ-पैरों में तेज दर्द।जी मिचलाना और उल्टियां आना।
तेज बुखार या शरीर का ठंडा पड़ जाना।
नाड़ी की अत्यधिक तेज गति।
चक्कर आना और बेहोशी।
बचाव:-
इस मौसम में शरीर से पसीना बहुत ज्यादा निकलता है। जिसके कारण पानी की कमी हो जाती है। इसलिए तरल पदार्थो जैसे- कच्चे आम का पना, जूस, छाछ, लस्सी, मिल्क शेक और नीबू की शिकंजी का भरपूर मात्रा में सेवन करें। जब शरीर में पानी की मात्रा अधिक होगी तो बाहर के तापमान का कम असर होगा।गर्मियों में हमेशा दस-पंद्रह दिन ऐसे होते हैं, जब तापमान बहुत अधिक होता है और शाम सात बजे तक गर्म हवाएं चलती हैं। ऐसे में जब तक बहुत जरूरी न हो, धूप में घर से बाहर न निकलें और बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखे।
हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए बाहर निकलते समय ढीले, आरामदेह और सूती कपड़े पहनें।कैप या छतरी का इस्तेमाल जरूर करें।
दोपहर के वक्त बाहर से वापस लौटने के तुरंत बाद एसी वाले कमरे में न बैठें और न ही ठंडा पानी पीएं।
त्वचा संबंधी समस्याएं:-
त्वचा शरीर का ऐसा हिस्सा है, जो मौसम से सबसे अधिक प्रभावित होता है। गर्मी के मौसम का तेज तापमान और पसीने की नमी त्वचा को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इस मौसम में पसीने, धूल और मृत त्वचा के मिश्रण की वजह से चेहरे पर एक्ने और पेट, कमर आदि पर बैक्ने की समस्या हो जाती है। इस मौसम में गालों, ठोढ़ी और माथे पर चकलेदार निशान बन जाते हैं। साथ ही शरीर के खुले हिस्सों पर टैनिंग की भी समस्या हो जाती है, जिससे त्वचा की रंगत काली पड़ जाती है।बचाव:-
टैनिंग से बचने के लिए जहां तक संभव हो धूप में निकलने से बचें और अच्छी क्वॉलिटी के सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। फुल स्लीव्स के कपड़े पहनें।गर्मियों के उमस भरे मौसम में घमौरियां भी बहुत परेशान करती हैं। इससे बचने के लिए नहाने के पानी में एक ढक्कन यूडी कोलन मिलाएं और हलके सूती कपड़े पहनें। प्रभावित त्वचा पर बर्फ के टुकडे़ रगड़ने और प्रिक्ली हीट पाउडर लगाने से भी घमौरियां दूर हो जाती हैं।
इस मौसम में ज्यादा पसीना निकलने की वजह से तलवों की त्वचा में फंगल इन्फेक्शन हो जाता है। इसलिए अगर आप कवर्ड शूज पहनती हैं तो पहनने से पहले ऑब्जर्व पाउडर और अच्छी क्वॉलिटी के डियोड्रंट का भी तलवों पर स्प्रे करते हुए इस्तेमाल कर सकती हैं।
यूटीआई:-
अत्यधिक गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और इस वजह से लोगों को और खास तौर से स्त्रियों को यूटीआई की समस्या हो जाती है।लक्षण - यूरिन में जलन, प्राइवेट पार्ट्स में खुाजली, दर्द, थोड़ा-थोड़ा यूरिन डिस्चार्ज होना, यूरिन का रंग पीला होना और ज्यादा दुर्गध आना, कंपकपाहट के साथ बुखार, भूख न लगना, कमजोरी और थकान।
बचाव:-
बाहर खुले में बिकने वाली चीजें न खाएं। क्योंकि खून में होने वाला इन्फेक्शन यूरिन तक पहुंचकर यूटीआई का कारण बन जाता है।टॉयलेट और इनरवेयर की सफाई का पूरा ध्यान रखें। खास तौर से पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल से पहले और बाद में फ्लश का इस्तेमाल जरूर करें।
ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करें।
इस मौसम में पसीने की वजह से स्त्रियों में वजाइनल इन्फेक्शन की भी समस्या हो जाती है। आमतौर पर इस तरह के संक्रमण में वजाइना से सफेद रंग के तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होता है।
इस मौसम में स्विमिंग पूल के क्लोरीन युक्त पानी की वजह से भी कभी-कभी यह संक्रमण हो जाता है। इस समस्या से बचने के लिए स्विमिंग के बाद व्यक्तिगत सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें और कॉटन के इनरवेयर का इस्तेमाल करें।
अगर ऐसा कोई लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए किसी कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
लो ब्लडप्रेशर।
जिन लोगों का ब्लडप्रेशर आमतौर पर सामान्य या कम रहता है, अकसर इस मौसम में ऐसे लोगों में लो ब्लडप्रेशर के लक्षण और अधिक दिखाई देने लगते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि केवल लो ब्लडप्रेशर वाले लोगों को ही यह समस्या हो, हाई ब्लडप्रेशर वालों का रक्तचाप भी इस मौसम में गिर जाता है। इसलिए गर्मियों में सभी को सतर्क रहना चाहिए।
लक्षण:-
आंखों के सामने अंधेरा छाना।दिल की धड़कन और नाड़ी की गति का धीमा पड़ना।
बेहोशी।
सिरदर्द।
अनावश्यक थकान और कमजोरी।
बचाव:-
नमक के साथ ताजे फलों का जूस लें।काजू, बादाम के अलावा अधिक कैलरी वाले खाद्य पदार्थ जैसे-चीज, मक्खन आदि का सेवन फायदेमंद साबित होता है।
थोड़ी देर के लिए आराम करना भी रक्तचाप को सही अवस्था में वापस लाने में कारगर साबित होता है।
डायरिया:-
गर्मियों में मक्खियों और बैक्टीरिया की वजह से अकसर लोगों की आंतों में इन्फेक्शन हो जाता है, जिसे डायरिया या कोलाइटिस के नाम से जाना जाता है।लक्षण:-
लूज मोशन, पेट में दर्द और उल्टियां आना।कमजोरी और कंपकंपी के साथ बुखार।
गला सूखना और शरीर में पानी की कमी की वजह से त्वचा का ढीला पड़ जाना आदि।
बचाव:-
बासी और बाहर खुले में बिकने वाली चीजें, खास तौर से कटे फल और जूस आदि के सेवन से बचें।अगर डायरिया की समस्या हो तो अधिक से अधिक तरल पदार्थो जैसे-छाछ, लस्सी, नीबू की शिकंजी, घर में तैयार ताजे जूस आदि का सेवन करें।
हल्का और सुपाच्य भोजन करें। इस बात का ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी न होने पाए।
हर एक घंटे के अंतराल पर चीनी-नमक का घोल पीना भी बहुत जरूरी है। अगर इसके बाद भी सेहत में सुधार न आए तो बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लें क्योंकि शरीर में पानी की कमी होने के कारण यह समस्या जानलेवा भी साबित हो सकती है।
माइग्रेन:-
जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या होती है, उन्हें गर्मियों में खास तौर से सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि गर्म तापमान इसे बढ़ा देता है।लक्षण:-
सिर के आधे हिस्से में तेज दर्द और उल्टियां आना।हलकी सी आवाज, रौशनी या किसी भी तरह की गंध से दर्द का बढ़ जाना, भोजन में अरुचि और अनिद्रा
बचाव:-
अपने बेडरूम की खिड़कियों और दरवाजों पर हमेशा गहरे रंगों के भारी परदे डाल कर रखें।बाहर निकलते समय सनग्लास पहनें और सिर ढंक कर रखें। अगर दर्द ज्यादा हो तो डॉक्टर की सलाह पर बताई गई दवा जरूर लें।
गर्मी के महीने में होने वाली बीमारियां:-
गर्मी में कई मौते गर्मी तरंगों के कारण निर्जलीकरण के कारण होती हैं। गर्मी उच्च गर्मी सूर्य तरंगों का सबसे घातक और चरम मौसम है। इसलिए, इस मौसम के समय अच्छी तरह से हाइड्रेटेड(जलीय चीजें पीते) रहना चाहिए। वर्ष के चार सत्रों में गर्मियों का समय ग्रीष्म ऋतू सबसे गर्म मौसम है। इस मौसम में अत्यधिक तापमान और शुष्क मौसम रहता है, जिसमें हिंसक मानसून जो कि मृत्यु दर बढ़ने का कारण बनता है। इस मौसम के समय ऊष्मीय तापमान की वजह से मौसम गर्म रहता है जिससे कुछ क्षेत्रों में कम पानी की आपूर्ति, कमी या पूरी तरह से पानी की कमी हो जाती है। तापमान में गर्मी की ऊँची और बढ़ती तरंगें इस मौसम को काफी गर्म बनाते हैं, जो दोनों लोगों, वन्यजीवों और व्यक्तियों के लिए समस्याओं को पैदा करती है।गर्मी में कई मौते (लोग या जानवर) गर्मी तरंगों के कारण निर्जलीकरण के कारण होती हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, गर्मी उच्च गर्मी सूर्य तरंगों का सबसे घातक और चरम मौसम है। इसलिए, इस मौसम के समय अच्छी तरह से हाइड्रेटेड(जलीय चीजें पीते) रहना चाहिए। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस के फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड के मुताबिक, महिलाओं को सामान्य रूप से 2.7 लीटर पानी और 3.7 लीटर गर्मियों में दैनिक आधार पर लेना चाहिए। हालांकि, ज्यादा मेहनत करने वाले लोगों को सामान्य से अधिक पानी पीना चाहिए।
यह एन ओ ए ए के नेशनल क्लाइमेटिक डाटा सेंटर द्वारा दर्ज किया गया है कि वर्ष 2014 गर्मियों में सबसे गर्म था। नासा(NASA) के अनुसार, वातावरण की गर्मी साल दर साल बड़ती जा रही है। यह मानव निर्मित ग्लोबल वार्मिंग है अर्थात् ये मानव द्वारा ही किया जा रहा है। और, मानो ऐसा लगता है कि यह बढ़ता तापमान जल्द ही एक गर्मी की दुनिया बना लेगा जो कि पुरे साल रहेगी ।
जैसा कि हम एक इंसान हैं, जो कि ईश्वर की सबसे बुद्धिमान संरचना है, हमें इस बढ़ते तापमान पर सकारात्मक सोच और सकारात्मक कार्य करना चाहिए। हमें सभी आरामदायक संसाधनों का उपयोग करके गर्मियों के मौसम का आनंद लेना चाहिए, हालांकि हमें सीमा पार नहीं करनी चाहिए। हमें सीमा के भीतर रहकर आनंद लेना चाहिए और हमेशा पानी और बिजली की बचत करना चाहिए। हमें पानी और बिजली बर्बाद नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस पृथ्वी पर साफ पानी का बहुत कम प्रतिशत है और बिजली का अनावश्यक उपयोग ग्लोबल वार्मिंग का एक बहुत बड़ा कारण है।
मौसमी बिमारियां:-
गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और शुरू हो गई हैं बीमारियां भीं. आमतौर पर गर्मी में हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, फ्लू, चिकन पॉक्स, डायरिया के मामले बढ़ जाते हैं, मौसमी बिमारियां (Seasonal Health Problems) ज्यादातर संबंधित मौसम में देखने को मिलती हैं। उदाहरण के तौर पर जहां गर्मी के दिनों में लू लगना, डिहाइड्रेशन, घमौरी, स्किन बर्न, आदि समस्यायें देखने को मिलती है, वहीं सर्दियों में ठंढ लगना, निमोनिया, सर्दी-जुकाम, वायरल-फीवर, आदि बिमारियों से संक्रमित लोग आसानी से देखे जा सकते हैं। मौसमी बिमारियों से बचने के लिए सर्वेश्रेष्ठ उपाय है तेज मौसम (कड़ी धूप या तेज ठंढ) में एहतियात बरतना।गर्मी में होने वाली बीमारियां:-
– गर्मी में शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इससे डि-हाइड्रेशन होता है. इसके होने के अन्य कारणों में ज्यादा व्यायाम, डायरिया, उल्टी, बुखार या ज्यादा पसीना भी होता है।– इस मौसम में लोग चिकनपॉक्स और मीजल्स से परेशान होते हैं. डॉक्टर्स कहते हैं कि इनके कई मामले सामने आते हैं।
– यूरीन इन्फेक्शन भी लोगों को परेशान करने लगता है, महिलाओं को अक्सर पता नहीं चलता कि उनमें पानी की कमी हो रही है और पानी न पीने से संक्रमण होता है।
क्या करें इस मौसम में:-
– डॉक्टर कहते हैं कि गर्मी में भी पानी उबालकर पीना चाहिए, क्योंकि पानी की गुणवत्ता में कमी हो जाती है. पानी में अगर ऑर्सेनिक, जंग, कीटनाशक आदि हो तो उसे पीने से डायरिया, हैजा, टायफायड वगैरह हो सकता है।– प्यास ना भी लगे, तो भी पानी पीना चाहिए।
– जंक फूड और सड़क किनारे से कुछ खरीदकर खाने से बचना चाहिए।
गर्मी के दिनों में पाचन की समस्या पैदा हो जाती है और कई दिनों तक पेरशानी पैदा हो जाती है। कई लोगों की भूख खतम हो जाती है तो कई लोगों के शरीर में पानी की कमी होने के कारण उन्हें डीहाइड्रेशन हो जाता है। अगर आपको डीहाइड्रेशन हो जाता है तो खाने पीने में भी परेशानी हो जाती है। गर्मियों के दिनों में अगर तला भूना या फिर मसालेदार खाना खा लिया तो पेट खराब हो जाता है। तो ऐसे में गर्मी के मौसम मे पेट की बीमारी से बचने के लिये क्या क्या उपाय किये जा सकते हैं, इसके बारे में हम आपको कुछ जानकारियां देगें।
पेट की बीमारी से बचने के लिये :-
कम खाएं- गर्मियों में भूख से थोड़ा कम ही खाइये। इस दौरान सिस्टम थोड़ा संवेदनशील हो जाता है तो थोड़ी थोड़ी देर पर खाएं न कि इकठ्ठा एक साथ। इससे पाचन क्रिया सही ढंग से होगी और आपको जल्दी भूख भी नहीं लगेगी। इस समय हरी पत्तेदार सब्जियां और ताजे फल खाइये, जो कि आसानी से पच जाए।
खूब पीजिये- कई लोग गर्मियों में ज्यादा पानी नहीं पीते। पसीने की वजह से शरीर का सारा पानी निकल जाता है तो इसलिये डीहाइड्रेशन से बचने के लिये खूब सारा पानी पीजिये और फलो का रस पीजिये। कोल्ड्रिक का कम सेवन कीजिये।मसालेदार भोजन से बचे:-गर्मी में पाचन क्रिया धीमी हो जाने के कारण ज्यादा तला भुना और मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिये। इस समय आपको बीन्स, गाजर, स्प्राउ्स आदि खाने चाहिये जिससे आप का पेट साफ रहे और मजबूत रहे।
जूसी फ्रूट:- अपनी डाइट में टमाटर, सेब, खीरा, शकरकंद, तरबूज, सूरन और खरबूजा शामिल करें।
पाचन के लिये मसाले और बूटियां खाएं- अपनी पाचन क्रिया को ठीक रखने के लिये धनिया, मेथी, सौंफ , दालचीनी, अदरक, जीरा आदि अपने आहार में शामिल करें।
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